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हर पल हर जीव में भगवान के दर्शन

जीव में भगवान के दर्शन

Date  हर पल हर जीव में भगवान के दर्शन  संत एकनाथ बहुत परोपकारी थे। वे महान संत थे लेकिन उनके आचरण, व्यवहार और वाणी में कोई दिखावा नहीं था। वे मूलतः महाराष्ट्र से थे, परन्तु उनके नेक कामों की सुगंध पूरी दुनिया में फैली। एक बार संत एकनाथ के मन में यह विचार आया कि प्रयाग …

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गोपाल भोग क्या आपके घर में भी विराजे हैं

गोपाल भोग

Date गोपाल भोग क्या आपके घर में भी विराजे हैं एक बार एक तैर्थिक ब्राह्मण नाना तीर्थ भ्रमण करते-करते दैवयोग से श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के पिताजी,श्रीजगन्नाथ मिश्रजी के घर आये। वह हमेशा आठ अक्षरों वाले गोपाल मन्त्र से गोपालजी की उपासना करते थे तथा …. जो कुछ भी मिलता उसे गोपालजी को भोग लगाकर ही प्रसाद …

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गौ सेवा का फल Benefits of Cow Worship

गौ सेवा का फल

Date अयोध्या के राजा दिलीप बड़े त्यागी, धर्मात्मा, प्रजा का ध्यान रखने वाले थे। उनके राज्य में प्रजा संतुष्ट और सुखी थी। राजा की कोई संतान नहीं थी। अतः एक दिन वे रानी सुदक्षिणा सहित गुरु वसिष्ठ के आश्रम में पहुँचे और उनसे निवेदन किया कि ……भगवन् ! आप कोई उपाय बतायें, जिससे मुझे कोई …

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what is डायबिटीज?

डायबिटीज क्या है? diabetes

जब हमारे शरीर के Pancreas में Insuline का Production कम हो जाता है तो खून में Glucose का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को Diabetes, मधुमेह या Sugar कहा जाता है। Insuline एक Harmone है जो कि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है।

भक्त कैसा होता है?

भक्त कैसा होता है?

वृंदावन में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी। बचपन से ही वे वृंदावन में रहते थे।

भगवान

भगवान से क्या माँगा जाये

एक बार एक राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवो में घूम रहा था, पुराने जमाने में राजा प्रजा का हालचाल जानने के लिए प्रजा के बीच जाते थे। घूमते-घूमते राजा के कुर्ते का बटन टूट गया, उसने अपने मंत्री से कहा, पता करो की इस गाँव में कौन सा दर्जी हैं, जो मेरे बटन को सिल सके, मंत्री ने पता किया, उस गाँव में सिर्फ एक ही दर्जी था, जो कपडे सिलने का काम करता था। उसको राजा के सामने ले जाया गया।

राजा ने कहा, क्या तुम मेरे कुर्ते का बटन सिल सकते हो ? दर्जी ने कहा, यह कोई मुश्किल काम नहीं है, उसने मंत्री से बटन ले लिया। धागे से उसने राजा के कुर्ते का बटन लगा दिया। क्योंकि बटन भी राजा के पास था। उसने केवल अपने धागे का प्रयोग किया था।

राजा ने दर्जी से पूछा बटन Lagvayi mein क्या दूँ ?

दरजी ने कहा, महाराज रहने दो छोटा सा काम था, कर दिया आप तो हमारे महाराज हैं, जो कुछ मेरे पास है वो आपका ही तो दिया है। उसने मन में सोचा कि बटन भी राजा के पास था उसने तो सिर्फ धागा ही लगाया हैं।

राजा ने फिर से दर्जी को कहा, नहीं-नहीं बोलो क्या दूँ ?

दर्जी ने सोचा 2 रूपये माँग लेता हूँ, फिर मन में सोचा कि कहीं राजा यह ने सोच लें, कि बटन टाँगने के मुझ से 2 रुपये ले रहा हैं, तो गाँव वालों से कितना लेता होगा क्योंकि उस जमाने में २ रुपये
की कीमत बहुत होती थी। दर्जी ने राजा से कहा, महाराज जो भी आपको उचित लगे वह दे दो,
अब तो राजा को ही कुछ सोचकर अपने हिसाब से दरजी को देना था।
कहीं देने में उसकी Position खराब न हो जाये …उसने अपने मंत्री से कहा ”इस दर्जी को २ गाँव दे दो, यह हमारा हुकम है।
कहाँ वो दर्जी सिर्फ २ रुपये hi … माँगने में डर रहा था, और कहाँ राजा ने उसको २ गाँव दे दिए।

जब हम अपने भगवान पर पर सब कुछ छोड़ देते हैं, चाहे दो या न दो ,तो हमारे प्रभु अपने हिसाब से जो हमारे लिए उचित हो हमें दे देते हैं। उनके देने में कोई कमी नहीं होती, कमी तो सिर्फ हम माँगने में कर जाते हैं, देने वाला तो पता नही क्या देना चाहता हैं?
इसलिए संत-महात्मा कहते है, प्रभु के चरणों पर अपने आपको – अर्पण कर दों फिर देखो उनकी लीला।